Navratri 2018: देवी कात्यायनी की पूजा

Navratri 2018: छठे दिन करें देवी कात्यायनी की पूजा


नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है. ये आदि शक्ति के छठे रूप के तौर पर पूजी जाती हैं. देवी कात्यायनी सच्चे भक्तों के लिए अमोघ फलदायिनी मानी गई है. जो लोग शिक्षा के क्षेत्र में है उन्हें विशेष तौर पर देवी कात्यायनी की आराधना करनी चाहिए. शारदीय नवरात्रि का छठा दिन 15 अक्टूबर को है. इसी के साथ देवी कात्यायनी की पूजा गृहस्थों और विवाह की इच्छा रखने वालों के लिए भी फलदायी मानी जाती है.

Navratri 2018: छठे दिन करें देवी कात्यायनी की पूजा


नवरात्रि के नौवें दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है, जो अपने भक्त की हर मुराद पूरी करती हैं. बताया जाता है कि कत नाम के एक प्रसिद्ध महर्षि थे, उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए. इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे. इन्होंने भगवती की उपासना करते हुए बहुत सालों तक बड़ी कठिन तपस्या की थी. उनकी इच्छा थी मां भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें. मां भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली, जिसके बाद से मां का नाम कात्यायनी पड़ा. यह दानवों, असुरों और पापी जीवधारियों का नाश करने वाली देवी भी कहलाती हैं.

चार भुजा

अपने सांसारिक स्वरूप में मां कात्यायनी शेर पर सवार रहती हैं. इनकी चार भुजाएं हैं. इनके बांए हाथ में कमल और तलवार है. दाहिने हाथ में स्वस्तिक और आशीर्वाद की मुद्रा अंकित है. नवरात्र के छठे दिन इनके स्वरूप की पूजा की जाती है.

लाल रंग

नवरात्र के छठे दिन लांल रंग बहुत शुभ माना जाता है. ये आदिशक्ति का प्रतीक होता है. देवी कात्यायनी की पूजा के दिन लाल वस्त्र पहनने चाहिए. माता को शहद का भोग लगाएं।

कैसे करें पूजा

सबसे पहले फूलों से मां कात्यायनी को प्रणाम कर मंत्र का जाप करें। इसके अलावा इस दिन दुर्गा सप्तशती के 11वें अध्याय का पाठ करें। माता को पुष्प और जायफल अर्पित करें। देवी मां के साथ इस दिन भगवान शिव की भी पूजा की जाती है। पुराणों के मुताबिक इस दिन मां कात्यायनी की पूजा करने से गृहस्थ लोगों के जीवन में खुशहाली आती है। साथ ही विवाह के लिए प्रयत्नशील लोगों को भी शुभ फल प्राप्त होता है।

देवी कात्यायनी मंत्र

चन्द्रहासोज्जवलकरा शाईलवरवाहना, कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी.

OR

चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दूलवर वाहना।
कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानव घातिनि।।

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